सब कहते, ईश्वर लिखते ,
है,भाग्य सभी इंसानों का !
माता पिता छीन बच्चों से
चित्र बिगाड़ें, बचपन का !
कभी मान्यता दे न सकेंगे,
निर्मम रब को, मेरे गीत !
मंदिर,मस्जिद,चर्च न जाते, सर न झुकाएं मेरे गीत ! १०
बचपन से,ही रहे खोजता
ऐसे , निर्मम, साईं को !
काश कहीं मिल जाएँ मुझे
मैं करूँ निरुत्तर,माधव को !
अब न कोई वरदान चाहिए,
सिर्फ शिकायत मेरे मीत !
विश्व नियंता के दरवाजे , कभी न जाएँ , मेरे गीत !
है,भाग्य सभी इंसानों का !
माता पिता छीन बच्चों से
चित्र बिगाड़ें, बचपन का !
कभी मान्यता दे न सकेंगे,
निर्मम रब को, मेरे गीत !
मंदिर,मस्जिद,चर्च न जाते, सर न झुकाएं मेरे गीत ! १०
बचपन से,ही रहे खोजता
ऐसे , निर्मम, साईं को !
काश कहीं मिल जाएँ मुझे
मैं करूँ निरुत्तर,माधव को !
अब न कोई वरदान चाहिए,
सिर्फ शिकायत मेरे मीत !
विश्व नियंता के दरवाजे , कभी न जाएँ , मेरे गीत !
क्यों तकलीफें देते, उनको ?
जिनको शब्द नहीं मिल पाए !
क्यों दुधमुंहे, बिलखते रोते
असमय,माँ से अलग कराये !
तड़प तड़प कर अम्मा खोजें,
कौन सुनाये इनको गीत !
भूखे पेट , कांपते पैरों , ये कैसे , गा पायें गीत ??
जिनका,कोई नज़र न आये
सबसे , प्यारे लगते हैं !
जिनसे सब कुछ छीन लिया
जिनको शब्द नहीं मिल पाए !
क्यों दुधमुंहे, बिलखते रोते
असमय,माँ से अलग कराये !
तड़प तड़प कर अम्मा खोजें,
कौन सुनाये इनको गीत !
भूखे पेट , कांपते पैरों , ये कैसे , गा पायें गीत ??
जिनका,कोई नज़र न आये
सबसे , प्यारे लगते हैं !
जिनसे सब कुछ छीन लिया
हो, वे अपने से लगते हैं !
कभी समझ न आया मेरे,
कष्ट दिलाएंगे जगदीश !
सारे जीवन सर न झुकाएं, काफिर होते मेरे गीत !
जैसी करनी, वैसी भरनी !
पंडित , खूब सुनाते आये !
पर नन्हे हाथों की करनी
पर,मुझको विश्वास न आये
तेरे महलों क्यों न पंहुचती
ईश्वर, मासूमों की चीख !
क्षमा करें,यदि चढ़ा न पायें, अर्ध्य, देव को,मेरे गीत !
कभी समझ न आया मेरे,
कष्ट दिलाएंगे जगदीश !
सारे जीवन सर न झुकाएं, काफिर होते मेरे गीत !
जैसी करनी, वैसी भरनी !
पंडित , खूब सुनाते आये !
पर नन्हे हाथों की करनी
पर,मुझको विश्वास न आये
तेरे महलों क्यों न पंहुचती
ईश्वर, मासूमों की चीख !
क्षमा करें,यदि चढ़ा न पायें, अर्ध्य, देव को,मेरे गीत !