कलियों ने अक्सर बेचारे
भौंरे को बदनाम किया !
खूब खेल खेले थे फिर भी
मौका पा अपमान किया !
किसने शोषण किया अकेले,
किसने फुसलाये थे गीत !
किसको बोलें,कौन सुनेगा,कहाँ से हिम्मत लाएं गीत !
अक्सर भोली ही कहलाये
ये सजधज के रहने वाली !
मगर मनोहर सुंदरता में
कमजोरी , रहती हैं सारी !
केवल भंवरा ही सुन पाये,
वे धीमे आवाहन गीत !
दुनियां वाले कैसे समझें, कलियों के सम्मोहन गीत !
देवो न जानाति कुतो मनुष्यः
शक्तिः एवं सामर्थ्य-निहितः
भौंरे को बदनाम किया !
खूब खेल खेले थे फिर भी
मौका पा अपमान किया !
किसने शोषण किया अकेले,
किसने फुसलाये थे गीत !
किसको बोलें,कौन सुनेगा,कहाँ से हिम्मत लाएं गीत !
अक्सर भोली ही कहलाये
ये सजधज के रहने वाली !
मगर मनोहर सुंदरता में
कमजोरी , रहती हैं सारी !
केवल भंवरा ही सुन पाये,
वे धीमे आवाहन गीत !
दुनियां वाले कैसे समझें, कलियों के सम्मोहन गीत !
नारी से आकर्षित होकर
पुरुषों ने जीवन पाया है !
कंगन चूड़ी को पहनाकर
मानव ने मधुबन पाया है !
मगर मानवी समझ न पायी,
कर्कश,निठुर, खुरदुरे गीत !
कर्कश,निठुर, खुरदुरे गीत !
अधिपति दीवारों का बनके , जीत के हारे पौरुष गीत !
स्त्रियश्चरित्रं पुरुषस्य भाग्यमदेवो न जानाति कुतो मनुष्यः
शक्तिः एवं सामर्थ्य-निहितः
व्यग्रस्वभावः , सदा मनुष्यः !
इसी शक्ति की कर्कशता में,
पदच्युत रहते पौरुष गीत !
पदच्युत रहते पौरुष गीत !
रक्षण पोषण करते फिर भी, निन्दित होते मानव गीत !
निर्बल होने के कारण ही
हीन भावना मन में आयी
सुंदरता आकर्षक होकर
ममता भूल, द्वेष ले आयी
कड़वी भाषा औ गुस्से का
गलत आकलन करते मीत !
धोखा खाएं आकर्षण में , अपनी जान गवाएं गीत !
दीपशिखा में चमक मनोहर
आवाहन कर, पास बुलाये !
भूखा प्यासा , मूर्ख पतंगा ,
कहाँ पे आके, प्यास बुझाये !
शीतल छाया भूले घर की,
कहाँ सुनाये जाकर गीत !
जीवन कैसे आहुति देते , कैसे जलते परिणय गीत !
हीन भावना मन में आयी
सुंदरता आकर्षक होकर
ममता भूल, द्वेष ले आयी
कड़वी भाषा औ गुस्से का
गलत आकलन करते मीत !
धोखा खाएं आकर्षण में , अपनी जान गवाएं गीत !
दीपशिखा में चमक मनोहर
आवाहन कर, पास बुलाये !
भूखा प्यासा , मूर्ख पतंगा ,
कहाँ पे आके, प्यास बुझाये !
शीतल छाया भूले घर की,
कहाँ सुनाये जाकर गीत !
जीवन कैसे आहुति देते , कैसे जलते परिणय गीत !