Saturday, August 10, 2013

भुला के वादे,निश्छल दिल से,शर्मिन्दा हैं,मेरे गीत !

पता नहीं,कुल साँसे अपनी
हम  खरीद  कर , लाये हैं !
कल का सूरज नहीं दिखेगा
आज  समझ , ना  पाए हैं !
भरी वेदना, मन में लेकर , 
कैसे समझ  सकेंगे   प्रीत  ?
मूरखमन फिर चैन न पाए,जीवन भर अकुलायें गीत ! 

जीवन की कुछ भूलें ऐसी ,
याद , आज  भी आती है !
भरी  डबडबाई, वे ऑंखें ,
दिल में कसक जगाती हैं !
जीवन भर के बड़े वायदे , 
सपने खूब दिखाए मीत !
भुला के वादे,निश्छल दिल से,शर्मिन्दा हैं,मेरे गीत ! 

याद  रहे , वे निर्मल सपने,
कुछ अपने से,कुछ गैरों से 
दिवा स्वप्न जो हमने देखे
बिखर गए, भंगुर शीशे से 
जीवन भर के कसम वायदे, 
नहीं निभा पाए थे गीत !
अब क्यों यादे, उनकी आयें, क्यों पछताएं मेरे गीत ?

बड़े दिनों से बोझिल मन है 
कर्जा चढ़ा,   संगिनी का !
चलते थे अपराध बोध ले 
मन में क़र्ज़ ,मानिनी का !
दारुण दुःख में साथ निभाएं, 
कहाँ आज हैं,ऐसे मीत !
प्यार के करजे उतर न पायें ,खूब जानते मेरे गीत ! 

जीवन की कडवी यादों को
भावुक मन से भूले कौन ?
जीवन के प्यारे रिश्तों मे
पड़ी गाँठ, सुलझाए कौन ?
गाँठ पड़ी है,कसक रहेगी,
हर दम चुभता रहता तीर !
जानबूझ कर,धोखे देकर, कैसे नज़र झुकाते, गीत ? 
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