सबसे पहले,हमें सुलाते
गीत सुनाया , अम्मा ने !
थपकी दे दे कर,बहलाते
आंसू पोंछे , अम्मा ने !
सुनते सुनते निंदिया आई,
आँचल से निकले थे गीत !
उन्हें आज तक भुला न पाये , बड़े मधुर थे मेरे गीत !
आज तलक वह मद्धम स्वर
कुछ याद दिलाये, कानों में !
मीठी मीठी लोरी की धुन ,
आज भी आये, कानों में !
आज मुझे जब नींद न आये,
कौन सुनाये आ के गीत ?
काश कहीं से, मना के लायें , मेरी माँ को , मेरे गीत !
गीत सुनाया , अम्मा ने !
आंसू पोंछे , अम्मा ने !
सुनते सुनते निंदिया आई,
आँचल से निकले थे गीत !

आज तलक वह मद्धम स्वर
कुछ याद दिलाये, कानों में !
मीठी मीठी लोरी की धुन ,
आज भी आये, कानों में !
आज मुझे जब नींद न आये,
कौन सुनाये आ के गीत ?
काश कहीं से, मना के लायें , मेरी माँ को , मेरे गीत !
मुझे याद है ,थपकी देकर,
माँ कुछ याद दिलाती थी !
सिर्फ गुनगुनाहट सुनकर ही,
आँख बंद हो जाती थी !
आज वह लोरी, उनके स्वर में,
कैसे गायें , मेरे गीत !
कहाँ से लाऊं,उस थपकी को,माँ की याद दिलाएं गीत !
अक्सर पेन पेन्सिल लेकर
माँ कैसी थी ?चित्र बनाते,
पापा इतना याद न आते
पर जब आते, खूब रुलाते !
उनके गले में, बाहें डाले ,
खूब झूलते , मेरे गीत !
पिता की उंगली पकडे पकडे,चलाना सीखे मेरे गीत !
पिता में बेटा शक्ति ढूंढता
उनके जैसा कोई न देखा !
भय के अंधकार के आगे
उसने उनको लड़ते देखा !
वह स्वरुप,वह शक्ति देखकर,
बचपन से ही था निर्भीक !
शक्ति पुरुष थे , पिता हमेशा, उन्हें समर्पित मेरे गीत !
राम रूप कुछ विद्रोही थे ,
चाहे कुछ हो,सर न झुकाएं
कुछ ऐसा कर पायें जिससे
घर में उत्सव रोज मनाएं !
सदा उद्यमी, जीवन उनका,
रूचि रहस्यमय,निर्जन गीत !
कभी कभी मेरे जीवन में,वे खुद ही,लिख जाते गीत !
शक्ति पिता से पायी मैंने,
करुणा , आई माता से !
कोई कष्ट न पाए मुझसे ,
यह वर मिला विधाता से !
खाली हाथों आया था मैं ,
भर के गगरी , छोड़े गीत !
प्यासे पक्षी,बया,चिरैयाँ,सबकी प्यास बुझायें गीत !
ममता खोजे,बचपन जिनका
क्या उम्मीद लगायें , उनसे !
जिसने घर परिवार न जाना
क्या अरमान जगाएं उनसे !
जो कुछ सिखलाया लोगों ने,
वैसी ही बन पायी प्रीत !
आज कहाँ से, लेकर आयें , मीठी भाषा, मीठे गीत !
कभी किसी अंजुरी का पानी
इन होंठो में पंहुच न पाया !
और किन्ही हाथों का कौरा
जिसके मुंह में,कभी न आया !
किसी गोद में देख लाडला,
तड़प तड़प रह जाते गीत !
छिपा के आंसू,दिन में अपने, रातो रात जागते गीत !
माँ कुछ याद दिलाती थी !
सिर्फ गुनगुनाहट सुनकर ही,
आँख बंद हो जाती थी !
आज वह लोरी, उनके स्वर में,
कैसे गायें , मेरे गीत !
कहाँ से लाऊं,उस थपकी को,माँ की याद दिलाएं गीत !
अक्सर पेन पेन्सिल लेकर
माँ कैसी थी ?चित्र बनाते,
पापा इतना याद न आते
पर जब आते, खूब रुलाते !
उनके गले में, बाहें डाले ,
खूब झूलते , मेरे गीत !
पिता की उंगली पकडे पकडे,चलाना सीखे मेरे गीत !
पिता में बेटा शक्ति ढूंढता
उनके जैसा कोई न देखा !
भय के अंधकार के आगे
उसने उनको लड़ते देखा !
वह स्वरुप,वह शक्ति देखकर,
बचपन से ही था निर्भीक !
शक्ति पुरुष थे , पिता हमेशा, उन्हें समर्पित मेरे गीत !
राम रूप कुछ विद्रोही थे ,
चाहे कुछ हो,सर न झुकाएं
कुछ ऐसा कर पायें जिससे
घर में उत्सव रोज मनाएं !
सदा उद्यमी, जीवन उनका,
रूचि रहस्यमय,निर्जन गीत !
कभी कभी मेरे जीवन में,वे खुद ही,लिख जाते गीत !
शक्ति पिता से पायी मैंने,
करुणा , आई माता से !
कोई कष्ट न पाए मुझसे ,
यह वर मिला विधाता से !
खाली हाथों आया था मैं ,
भर के गगरी , छोड़े गीत !
प्यासे पक्षी,बया,चिरैयाँ,सबकी प्यास बुझायें गीत !
ममता खोजे,बचपन जिनका
क्या उम्मीद लगायें , उनसे !
जिसने घर परिवार न जाना
क्या अरमान जगाएं उनसे !
जो कुछ सिखलाया लोगों ने,
वैसी ही बन पायी प्रीत !
आज कहाँ से, लेकर आयें , मीठी भाषा, मीठे गीत !
कभी किसी अंजुरी का पानी
इन होंठो में पंहुच न पाया !
और किन्ही हाथों का कौरा
जिसके मुंह में,कभी न आया !
किसी गोद में देख लाडला,
तड़प तड़प रह जाते गीत !
छिपा के आंसू,दिन में अपने, रातो रात जागते गीत !