प्यार और अहसान न माने,
बड़े लालची थे, वे मीत !
घायल हो हो कर पहचानें ,गद्दारों को, मेरे गीत !
चंद दिनों में दौलत पाकर
डींग मारते , भड़क रहे !
चंद तालियों को सुन कर ,
ही खुद को राजा मान रहे !
प्रजा समझ कर जिसे रुलाया,
वही करेगी इनको ठीक !
कुछ वर्षो के बाद, इन्हीं पर, खूब हँसेंगे, मेरे गीत !
दम भरते हैं,धर्मराज का
करते काम, कसाई का !
पूरे दिन,मृदु वचन सुनाएँ
रात को रूप, शराबी का !
कुछ दिन में जनता सीखेगी,
ध्यान से पढने, मेरे गीत !
बड़ी दुर्दशा, नेता झेलें , जिस दिन जागें, मेरे गीत !
माल कमाने को निकले हैं
देशभक्ति का झंडा लेकर
प्रजातंत्र में, नेता निकले
राजनीति का डंडा लेकर !
खूब बनायें मूर्ख देश को,
अनपढ़ प्रजा,सुन रही गीत !
पतन देख कर,राजनीति का,भौचक्के हैं, मेरे गीत !
चोर उचक्के, रखवालों को
थप्पड़ भरे, बाज़ार मारते !
सच्चे लोगों को, समाज में
जीभर के अपमानित करते
चोरों को अध्यक्ष बनाएँ ,
सरे आम, पिटते जनगीत !
न्यायाधीश बनाकर इनको, क्यों पछ्ताएं मेरे गीत ?
बहुमत का फायदा उठाते
जमकर गुंडा राज चलाते
वोट दिलाया जिन गुंडों ने
उनके सर पर हाथ फिराते
नफरत और अन्याय देखकर,
अक्सर रोये , मेरे गीत !
तब तब कलम उठी अंगडाई लेकर लिखने, मेरे गीत !
जबतक जातिवाद पनपेगा
देश को यूँ ही रोना होगा !
जब तक जनता डरी रहेगी
इन लाशों को ढोना होगा !
कब तक जनता पहचानेगी
अपनी ताकत अपनी जीत !
धीरे धीरे समझ आ रही , मुखर हो रहे हैं , जनगीत !
बेईमानों के चेहरों की कुछ
कुछ पहचान सामने आयी !
नकली चेहरों की नौटंकी ,
बड़े लालची थे, वे मीत !
घायल हो हो कर पहचानें ,गद्दारों को, मेरे गीत !
चंद दिनों में दौलत पाकर
डींग मारते , भड़क रहे !
चंद तालियों को सुन कर ,
ही खुद को राजा मान रहे !
प्रजा समझ कर जिसे रुलाया,
वही करेगी इनको ठीक !
कुछ वर्षो के बाद, इन्हीं पर, खूब हँसेंगे, मेरे गीत !
दम भरते हैं,धर्मराज का
करते काम, कसाई का !
पूरे दिन,मृदु वचन सुनाएँ
रात को रूप, शराबी का !
कुछ दिन में जनता सीखेगी,
ध्यान से पढने, मेरे गीत !
बड़ी दुर्दशा, नेता झेलें , जिस दिन जागें, मेरे गीत !
माल कमाने को निकले हैं
देशभक्ति का झंडा लेकर
प्रजातंत्र में, नेता निकले
राजनीति का डंडा लेकर !
खूब बनायें मूर्ख देश को,
अनपढ़ प्रजा,सुन रही गीत !
पतन देख कर,राजनीति का,भौचक्के हैं, मेरे गीत !
चोर उचक्के, रखवालों को
थप्पड़ भरे, बाज़ार मारते !
सच्चे लोगों को, समाज में
जीभर के अपमानित करते
चोरों को अध्यक्ष बनाएँ ,
सरे आम, पिटते जनगीत !
न्यायाधीश बनाकर इनको, क्यों पछ्ताएं मेरे गीत ?
बहुमत का फायदा उठाते
जमकर गुंडा राज चलाते
वोट दिलाया जिन गुंडों ने
उनके सर पर हाथ फिराते
नफरत और अन्याय देखकर,
अक्सर रोये , मेरे गीत !
तब तब कलम उठी अंगडाई लेकर लिखने, मेरे गीत !
जबतक जातिवाद पनपेगा
देश को यूँ ही रोना होगा !
जब तक जनता डरी रहेगी
इन लाशों को ढोना होगा !
कब तक जनता पहचानेगी
अपनी ताकत अपनी जीत !
धीरे धीरे समझ आ रही , मुखर हो रहे हैं , जनगीत !
बेईमानों के चेहरों की कुछ
कुछ पहचान सामने आयी !
नकली चेहरों की नौटंकी ,
धीरे धीरे समझ तो आयी !
राजनीति ही आसानी से
धन दिलवाये समझे गीत !
रंगमंच पर नाटक करते , कैसे प्यार सिखाएं गीत !
अनपढ़ जनता आसानी से
इनके बहकावे में आये !
जाति,धर्म की कसमें खाते
केवल वोट, बटोरें जाएँ !
सदबुद्धि जनता पा जाये,
लोकतंत्र की होगी जीत !
सरस्वती की करें वन्दना, चिंतित रहते मेरे गीत !
राजनीति ही आसानी से
धन दिलवाये समझे गीत !
रंगमंच पर नाटक करते , कैसे प्यार सिखाएं गीत !
अनपढ़ जनता आसानी से
इनके बहकावे में आये !
जाति,धर्म की कसमें खाते
केवल वोट, बटोरें जाएँ !
सदबुद्धि जनता पा जाये,
लोकतंत्र की होगी जीत !
सरस्वती की करें वन्दना, चिंतित रहते मेरे गीत !