कलम उठा गंदे हाथो में
कष्टनिवारक से लगते हैं,
वस्त्र पहन, सन्यासी के !
रामनाम को बेंचें खुलकर
बुरे करम, अधिवासी के !
मन में लालच ,नज़र में धोखा,
मुंह से बोलें मीठे गीत !
आस्था बेंचें,घर घर जाकर,रात में मस्त निशाचर गीत !
तामस मन के मालिक पर
ये नाम व्यास बतलाते हैं !
शारद को अपमानित करते,
लिखते बड़े रंगीले गीत !
लिखते बड़े रंगीले गीत !
देख के इन कवियों की भाषा, आँख चुराएं मेरे गीत !
धवल वस्त्र मंत्रोच्चारण
से कैसा सुन्दर नूर रहे !
टीवी से हर घर में आये
इन संतों से , दूर रहें !
रात्रि जागरण में बैठे हैं ,
लक्ष्मीपूजा करते गीत !
श्रद्धा के व्यापारी गाते,तन्मय हो जहरीले गीत !
से कैसा सुन्दर नूर रहे !
टीवी से हर घर में आये
इन संतों से , दूर रहें !
रात्रि जागरण में बैठे हैं ,
लक्ष्मीपूजा करते गीत !
श्रद्धा के व्यापारी गाते,तन्मय हो जहरीले गीत !
कष्टनिवारक से लगते हैं,
वस्त्र पहन, सन्यासी के !
रामनाम को बेंचें खुलकर
बुरे करम, अधिवासी के !
मन में लालच ,नज़र में धोखा,
मुंह से बोलें मीठे गीत !
आस्था बेंचें,घर घर जाकर,रात में मस्त निशाचर गीत !
शिक्षण की शिक्षा लेते हैं ,
गुरुशिष्टता मर्म न जाने !
शिष्यों से रिश्ता बदला है
जीवन के सुख को पहचाने
आरुणि ठिठुर ठिठुर मर जाएँ,
आश्रम में धन लाएं खींच !
आश्रम में धन लाएं खींच !
आज कहाँ से ढूँढें ऋषिवर , बड़े दुखी हैं, मेरे गीत !
कोई तो, आएगा ऐसा !
राह दिखाए बंजारे को !
जाने कबसे रहा भटकता
कबसे ढूँढू अनजाने को !
नंगे पैरों, गुरु-दर्शन को ,
आये थे, मन में ले प्रीत !
सच्चा गुरु ही राह दिखाए , खूब जानते मेरे गीत !
काव्य समीक्षा हेतु खड़े
आचार्य गुरु दरवाजे पर
उपाध्याय के पाँव न देखे
क्या जाऊं , दरवाजे पर
सत्यवाक घृतिमान सामने,
हतप्रभ होते मेरे गीत !
सरस्वती का वंदन करते , अर्पित होते मेरे गीत !
कोई तो, आएगा ऐसा !
राह दिखाए बंजारे को !
जाने कबसे रहा भटकता
कबसे ढूँढू अनजाने को !
नंगे पैरों, गुरु-दर्शन को ,
आये थे, मन में ले प्रीत !
सच्चा गुरु ही राह दिखाए , खूब जानते मेरे गीत !
काव्य समीक्षा हेतु खड़े
आचार्य गुरु दरवाजे पर
उपाध्याय के पाँव न देखे
क्या जाऊं , दरवाजे पर
सत्यवाक घृतिमान सामने,
हतप्रभ होते मेरे गीत !
सरस्वती का वंदन करते , अर्पित होते मेरे गीत !